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ये रचना कोई रचना
नहीं है, हाँ शब्दों का हमसे विद्रोह और फिर छंद-रहित एक एक कर शब्दों का भावों से
मिलने की रचना है. उनकी प्रेरणा से ही शब्दों को ढालने की कोशिश कर पाता हूँ. वो
नहीं तो मैं नहीं, मेरे लिखे हुए शब्द भाव नहीं....
.
.....शब्द......
शब्दों की आनाकानी
कोई नयी नहीं थी
कहानी
प्रेम से नेवता
भेजा, तो आनाकानी
न बुलाया, तो रूठने की कहानी...
मिन्नतों का सिलसिला
चला,
तो,
अनेकों शब्दों के कहकहे
गूंजे
शब्दों को अब मैं सुन
पा रहा था
उनकी पाज़ेब के बूंदियों
से खनक उठी
देखा, बूंदियों को थामे
मस्तमौला से
कई शब्द झूम रहे थे,
झूल रहे थे
सुन्दर गुल्फों में
पाजेब जी उठी थी,
मस्तमौला शब्द उनके
कहे कह रहे थे,
पाजेब की मस्तियाँ सुना
रहे थे.
जुल्फों की कई
लड़ियाँ बेताब हो,
उनके माथे से छिटक
चेहरे पर आ रही थी.
देखा, बदमाश से कई
नन्हे-मुन्हे शब्द
फिसलते, गिरते,
खेलते और फिर चढ़ जाते,
जुल्फों के अधियारा
का मजा तो यही ले रहे थे
चिल्लाते कह रहे थे,
हमे इन्ही से सजा दो.
टीपटीपाती पलकों के कोने पर
कई शब्द थिरक रहे थे,
भीगे भीगे से थे
आज ख़ुशी के कई बूंद आंसू
के बहे थे
शर्द हवाओं में
कापते कई शब्द बैठे थे
एक शब्द ने गुहार
लगायी
इन आँखों से नाता तो
गहरा है, इन्ही से सजा दो हमे
सभी अपनी गाथा सुना रहे
थे
मेरे उनके नाते का
कथा कह रहे थे
सभी शब्दों को उनसे
जुडे रहने का गुमान था
सभी शब्दों को उन पर
सज जाने का अरमान था
किन्हें अब मैं उठाता,
किन्हें मैं सजाता
कई बार इन्हें मैंने
संजोया भी था,
पेशोपेश में था.
शांत, गंभीर से, दो
चार शब्द बैठे थे,
मौन व्रत तो ना था
या थी कोई समाधी,
शब्दों में न कोई अभिमान,
न कोई दर्द
सुकून का दामन थामे अपने
मन में,
उनके कोमल ह्रदय से
जुडे खड़े थे
कुछ सुनाने, कुछ सुनने
को आस में खड़े थे...
नतमस्तक हो मैंने
उन्हें थाम लिया...
कुछ कहने को कहा, तो
मूक शब्द थे..
उनके ह्रदय के
प्रतिबिम्ब थे
प्रेम से परिपूर्ण, रति
की मस्ती,
हंसी की खनक, आशा की
किरण
धड़कती ह्रदय से
अनोखा प्रेम हमे था
धड़कन की ताल सुन, जी
उठता मैं
गिरता, इनके शब्दों
से संभल उठता मैं
जीतता तो आगोश में
हमे ले लेती
ये प्रेम है या
आत्मा का मिलन ....हाँ यही तो था..
मूक भाव से कह गया,
कुछ अपने शब्द उनके ह्रदय से ....
शुक्रिया कि आप हो
धड़कती हैं धड़कने हमारी
भी, इन धडकनों से.
शुक्रिया कि आप हो
शब्द भी सजते हैं हमारी
भी, इन धडकनों से
शुक्रिया कि आप हो
ज़िन्दगी सजती है
हमारी भी, इन धडकनों से
हमारी धडकनों का
आभार कि
आप हो हमारी ज़िन्दगी
में.......
बेतहासा प्रेम से.....
कुछ शब्द आपके लिए....
ज़िन्दगी से एक ही
आशा है कि कुछ पल इस जीवन में भी आपके संग मिले, तो इस ज़िन्दगी को पूर्ण मान लूँगा
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लिखना कभी मेरी चाहत न थी..कोशिश की कभी जुर्रत न थी
शब्दों के कुछ फेर की कोशिश ---यूं कोई सराह गया कि
लिखना अब हमारी लत बन गयी...
-------- दो शब्द ही सही,, आपके शब्द कोई और करिश्मा दिखा जाए--- Leave your comments please.