धडकनें हैं
hamrah |
धड़कने सुन पा रहा
हूँ मैं
हलचल है
हलचलें भांप पा रहा
हूँ मैं
सक्रिय हो
सक्रियता महसूस कर पा
रहा हूँ मैं
खामोश हो
ख़ामोशी से खुद को व्यर्थ
होता देख रहा हूँ मैं...
अपने को
तुम्हारे ख़ामोशी से
बुझता हुआ देख रहा हूँ मैं...
क्यूँ हो खामोश न
पूछूँगा...
ज्ञात है कि मैं
तुम्हारे प्रश्न का जवाब नहीं
ज्ञात है कि मैं तुम्हारे
प्रश्न का हमराह नहीं......
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लिखना कभी मेरी चाहत न थी..कोशिश की कभी जुर्रत न थी
शब्दों के कुछ फेर की कोशिश ---यूं कोई सराह गया कि
लिखना अब हमारी लत बन गयी...
-------- दो शब्द ही सही,, आपके शब्द कोई और करिश्मा दिखा जाए--- Leave your comments please.