सुबह भागती जिंदगी में
शर्ट के नन्ही सी बटन का
शर्ट से टूट फिसल जाना
सिलसिला ये एक पूर्णविराम का
सिलसिला भागती जिंदगी का ठहर जाने का
रुक पल भर को,
रोक भागमभाग को,
ठहरा मैं,
गुहार लगायी,
आंटे सने हाथ में उनका आना
सुन कर झल्लाना
दूसरी पहन लीजिए ...
अभी समय नहीं है...
रोज रोज कैसे टूटती है?
अभी ही तो सिली थी बटन...
सबेरे ही क्यूँ नहीं देख लेते..
धोबी का असंख्यों बार निकालने की हुमकी देना...
उनका बडबडाना, और
वापस चले जाना
बिन बताये कि बटन का शर्ट से फिर रिश्ता बनेगा या नहीं ....
सने हाथ धो,
पसीने को आँचल से पोछ,
बडबडाती,
साड़ी को कमर में खोंस
शर्ट से मिलती रंग के धागे को
सुई में पिरोती,
चेहरे पर व्यस्त शिकन सजाये
उनका फिर वापस आना...
और टूटे हुए बटन को थाम
सुई-धागे से
शर्ट पर उन्हें फिर टांकना
छोटे छोटे ये नन्हे पल
व्यस्त जिंदगी को
एकबारगी ठहरा...
कई एहसास सजा जाते हैं....
कई बार महसूस किया था
कई बार देखा था हमने...
कई बार देखा था हमने...
चेहरे पर उनकी बनावटी लकीरे,
उनका पास आना, बटन टांकना, हमे उन्हें थामना
हमारी हंसी का, उनके बनावटी गुस्से में घुलना
मंद-मंद प्यार के बोल से उनका मुस्कुरा उठाना
गर्म अपनी सांसो को हमारी छाती में झोंकना
आगोश में आ, निरर्थक छुड़ाने की कोशिश करना
होठों का कंपकपाना, बिखरती लटों को समेटना
सुई का बटन से होते हुए शर्ट के अंदर जाना
और नए एहसासों से वापस ऊपर आना
सिलसिला सिलने का कई बार देखा था हमने
दो पल ठहर,
दो पल रोक सबकुछ, कुछ ही पल में
कई पलों को संग जिया था हमने..
माज़ी के पन्नों को कुरेद भी
कई बार इन पलों को सजते देखा था हमने..
कितने एहसास नन्ही सी ये बटन
शर्ट से उधडने के बाद भी दे जाते हुए देखा था हमने
कई बार गुनगुनाया भी था हमने उनके लिए
तेरे शर्ट का बटन मैं सोनिये....बालों का तेरे मैं क्लिप हो गया....
भागते भागते जिंदगी का कहीं दूर चले जाना
बटन का उधडना,
सोफे के किसी कोने पर अब शर्ट का उतर जाना,
तांड पर सजी कतार में झूलती कपड़ों का विकल्प बनना
नन्हे ये पल कपड़ों के ढेर में सुई सी खो गयी है
तिहाई भर की सूत जिंदगी के रेशों में उलझ गयी है ....
अब भी नेपथ्य से कहीं सुनाई देती है ...
तेरे शर्ट का था मैं बटन सोनिये...