मेरी कुछ शब्द महीनों पहले जब लिखना शुरू ही किया था .........
मेरे घर का एक कोना
वो कोना जहाँ उदास मन भी, बहार बन जाती है
वो कोना जहाँ सिरहाना है
वहीँ जहाँ कोई हर रात आती है..
हर पल की नींद चुराती है
नींद में ख्वाब दिखाती है
ख्वाबों में अपने होने का एहसास दिलाती है
ऐसा लगता है कि वही है वो
कहीं है मेरे साथ
हर पल हर वक्त
आँखें देख तों नहीं पाती
पर एहसासों की महक कहती है
यहीं है , यहीं हैं..
एहसास तुम्हारे होने का
“अशांत” मन को “सोना” सा एहसास पाने का
NICE POEM..AND VERY GOOD TITLE...
ReplyDeletethanks Barun...dhanyavaad aapka
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