पूनम की चाँद ,
तारों की घूँघट
शीतल हवा
मदहोश मन
यादों में तुम
चाँदनी रात,
तुम्हरी रात
हमारी रात
हम दोनों की रात
हमारी दोस्ती की रात
सोच रहा मन
भेंट क्या दे इस पल
इस पावन छन
इस पल, इस छन
मिली ना कोई भेंट
न ढूंढ सका कोई भेंट
हो जो अनमोल
तुम सा अनमोल
इस रिश्ते सा अनमोल
थक, हार एक भेंट
पेश करता हूँ...
रेशमी सुर्ख कपडे में
सुनहले धागे से बाँध
खुश्बुवों में भींगा,
ना चाहो तों कहीं
कोने में सजा देना
खिडकी के किसी
शीशे से चिपका देना
पर दिल के कमरे से
दरवाज़े के चौखट से
उसे ना निकाल देना...
तीसरी वर्षगाठ पर,
हमारी इस रिश्ते के
शुभ अवसर पर
तुम्हे भेंट करता हूँ
प्यार से भरा
दिल अपना
तुम्हे एक बार फिर
पेश करता हूँ
अपने आप कों
तोहफे सा सजा
तोहफा पेश करता हूँ..
तीसरी वर्षगाठ की ढेर सारा प्यार ...और आशा करते है.. खुशिया तुम्हरे दामन में सजी रहे....
”ना हुए पास तों क्या,
हर पल हम साथ हैं,
हर पल हम साथ रहेंगे
ना हुए इस जनम में साथ, तों क्या
अगले हर जनम में तेरे साथ होंगे.........”
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लिखना कभी मेरी चाहत न थी..कोशिश की कभी जुर्रत न थी
शब्दों के कुछ फेर की कोशिश ---यूं कोई सराह गया कि
लिखना अब हमारी लत बन गयी...
-------- दो शब्द ही सही,, आपके शब्द कोई और करिश्मा दिखा जाए--- Leave your comments please.