Dec 18, 2011

बंदिशें ही बंदिशें हैं



हर जगह बंदिशें ही बंदिशें हैं, हर तरह कोई न कोई बंधन जकडे हुए है हर तरफ कहीं न कहीं हम फसे पड़े हैं बस यादे हैं जो कहीं बंदिशों मैं नहीं रह पाती.... साल भर पहले लिखी थी कुछ... एक बार फिर दोहरा गयी...





बंदिशें ही बंदिशें हैं
बंदिशों मैं बंदिशें हैं
बंदिशों से बंदिश हुई बंदिशें हैं
बंदिशों मे बंदिश हुई बंदिशें हैं
बंदिशों की बंदिश मैं बंदिश पड़ा है हर कोई

 
जन्म से ही बंदिशें हैं
बंदिशों मे जन्म है
बंदिशों के बंदिश मे
हर कोई पाली बढे हैं

बंदिशों की रिश्ते हैं
रिश्तों मे भी बंदिशे हैं
बंदिशों मैं प्राण है
प्राण की भी बंदिशें हैं
हर तरफ बस बंदिशें हैं
बंदिशों मैं बंधी पड़ी हर रिश्तें बंदिशें हैं

बंदिशों मे बंदिश पड़ा
उलझा था मैं बंदिशों से
प्रेयसी की प्रेम बंधन भी  
कर न पाए इकरार भी
बंदिशों के बंदिश मे कर न पाए प्यार भी


आज तोड़ हर बंदिशों को
प्यार का बंदिश हुआ
बाहों को उनकी बंदिशों मे
बंदिश हुआ मैं पड़ा ...

बंदिशें उनकी लबों से
बंदिश ये लब हुई
उँगलियों की बंदिशी मे
उंगलियां भी बंदिश हुई
गोद मे सर रख कर
गेशुवाओं की बंदिश हुई  
प्रेयशी की बंदिशी मे
बंदिश मेरी प्यार हुई

रोक सके है न आज कोई
टोक सके हैं न आज कोई
बंदिशैं भी बाँधे न हमको
स्वतंत्र सब बंदिशें हुई

आज ख्यालों मे सजा
यादें तेरी मुझ से बंदिश हुई
बंध गया मैं आज स्वेच्छित
बंदिशों मे, मैं तुम्हारी ..
आज तू ही प्राण है मेरी
आज तू ही प्यार है
बंध गया गर आज मैं फिर
और बंदिशों की चाह क्या है

बंदिशों मैं आज बंदिशें हैं
बंदिशें ही बंदिशें हैं ........

बंदिशों मे तेरे खुशहाल है निशांत ये मन मेरा भी

 .... बंदिश हुआ मैं यादों से तेरी .... १३.१२.२०११

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लिखना कभी मेरी चाहत न थी..कोशिश की कभी जुर्रत न थी
शब्दों के कुछ फेर की कोशिश ---यूं कोई सराह गया कि
लिखना अब हमारी लत बन गयी...
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