कलुआ, हरिया, बनिया चाचा
ददुआ काका सबे इहे कह रहे हैं
दिन में चार बार सब इहे बतिया रहे हैं
टीवी रेडियो को छोड़ बाकी
सबे जगह एके नीवुज़ है
मेडम को इशक हुआ है
मेडम को परेम हुआ है .....
बचपन से सूरज भगवान से
आँख मिचन खेलन वाली
दस बजे तक सुतने वाली
मेडम जी सूर्य प्रणाम कर रही हैं
सुबह सुबह उठ योग पाठ कर रही हैं
मंदिर के आँगन में घंटों बैठ रही है
मैडम को कहीं परेम तो नहीं होई गवा है
छन में तैयार होने वाली मैडम
आज कल घंटों लिपस्टिक लगाती है
रुए के ढेला से गालों पर पाउडर लगाती हैं
रूखे सुखे बालों पर रंगाई कराती है
पसीने सुखा सुखा मजमुआ इत्तर लगाती हैं
शीशे में बार बार खुद को निहारती हैं
खुद को खुद ही देख मंद मंद मुस्काती है
ह्म्म्म ... लगता है मैडम को इशक हुआ है
सबेरे से साड़ी की दुकान अलमारी से निकाल कर
घंटों सोच सोच अब, र दिन नयी सी साड़ी पहनती है
बेलाउज को इस्त्री कर-कर सीधा सीधा सजाती हैं
प्लास्टिक के पाकेट में टिफिन ले जाती थी तब
अब सत्यपाल के परस में टिफिन ले जाती है
सीधे सपाट सैंडल वाली मैडम हाई हिल में लचकती है
नाज़ुक अपनी कमरिया को अब और थोडा लचकाती है...
ह्म्म्म ... लगता है मैडम को इशक हुआ है
मोहल्लों के छोरो के हरकत तो
मैंने यूँ ही जहाँ से न लगाया था
चाचा काका की बातों को हवा में उडाया था
पर जब से जहाँ में ये सवाल आया है कि
मैडम का कहीं दिल आया है ...
मैडम को कहीं इशक हुआ है
तब से दिल अपना खुशी से भर आया है
बड़े चाव से प्रेम हमने मैडम से किया था
घर के सभी लोगों से झगड, व्याह हमने किया था
जान दे सकते कहीं हम इनके कहने पर
अब इनके चलते जान हम दे आते हैं
सुख का संसार सोच हम व्याह रचाए थे
चार छे नान-वार के सपने हम भी सजा आये थे
जब से वो जिंदगी में आई हैं
सुख संपत्ति सब ने हमे से ली विदाई हैं
रिश्तों ने हमे कब से ठुकराई है
इस से अच्छा तो वो हमसे रुसवाई ले
छोड़ हमे कहीं और किसी को रुसवाई दे
अच्छा है, सु-समाचार है
लिपस्टिक पाउडर का खर्चा भी हम उठाएंगे
साडी भी महीने में दो चार और ला जायेंगे
सारी कायनात से इशक उनका मुक्कमल करायेंगे
सुखद ये समाचार है
मैडम को कहीं और इशक हुआ है
कुछ पल हम संग मेहमान है
बाद में तो कोई और परेशान है
सुखद ये समाचार है... मैडम को कहीं और इशक का बुखार चढा है