Jun 2, 2011

ख़ामोशी कितनी है खामोश तू



ख़ामोशी कितनी है खामोश
पर
है कौन तू,
है क्या तू  
समझा न क्यूँ
समझ पाया न क्यूँ

तू है तो
हलचल कहीं  
घुटन कहीं
लाचारी कहीं
व्यथा  कहीं
कथा कहीं
सख्त कहीं
सबल कहीं
निर्बल कहीं

न जाने क्यूँ खामोश
है ख़ामोशी हर कहीं

लपेट रखी हैं
अंतर्मन में तू
प्यार कहीं
इकरार कही
इंकार कहीं
इजहार कही
द्वन्द कहीं
उद्वंड कहीं