पर
है कौन तू,
है क्या तू
समझा न क्यूँ
समझ पाया न क्यूँ
तू है तो
हलचल कहीं
घुटन कहीं
लाचारी कहीं
व्यथा कहीं
कथा कहीं
सख्त कहीं
सबल कहीं
निर्बल कहीं
न जाने क्यूँ खामोश
है ख़ामोशी हर कहीं
लपेट रखी हैं
अंतर्मन में तू
प्यार कहीं
इकरार कही
इंकार कहीं
इजहार कही
द्वन्द कहीं
उद्वंड कहीं
न जाने फिर भी
क्यों है खमोशी
हर तरफ खामोश सी
ख़ामोशी,
क्यूँ
यार की मेरी
तू यार है
खुश है तो तू
दुखी है तो तू
नाराज़ है तो तू
प्यार है तो तू
इकरार है तो तू
कभी तो दामन
छोड उनका
मनाता हूँ आज में कि
रूठे तो रूठे तुझसे
हँसे तो भागे तुझसे.
इकरार हो तो
इंकार हो तुझसे...
खामोश हो तो,
खामोश हो तुझसे
छोड उनकी दमन
छोड उनका मन....
गर प्यार है
त्तुझे इतना ही
मेरे यार से
तो छोड उसे
आ मेरे पास
कर हलचल
दे घुटन
कर लाचार
सुना कथा
बना व्यथा
आ मेरे पास आ
हम भी समझे
तू है कौन
तू है क्या
बोल न ख़ामोशी
क्यूँ है खामोश आज
क्यूँ है खामोश, ख़ामोशी ???
bahut payari hai apki rachna....
ReplyDeletekafi gehrayi chupi hai her ek shabd main...
these lines are awsome.....
"कभी तो दामन
छोड उनका
मनाता हूँ आज में कि
रूठे तो रूठे तुझसे
हँसे तो भागे तुझसे.
इकरार हो तो
इंकार हो तुझसे...
खामोश हो तो,
खामोश हो तुझसे
छोड उनकी दमन
छोड उनका मन...."
keep writing....wating 2 c more....keep smiling...;-)
शुक्रिया.....
ReplyDeleteदुआ करे की यूँ ही सजते रहे शब्द हम से.....
तू है तो
ReplyDeleteहलचल कहीं
घुटन कहीं
लाचारी कहीं
व्यथा कहीं
कथा कहीं
सख्त कहीं
सबल कहीं
निर्बल कहीं
.........khamoshi ka matalb hi to yahi hai....jaha jha bhi wo hai har taraf chuppi hai..maushi hai....inkar hai...or sabse gahri byatha hai....ख़ामोशी,
क्यूँ
यार की मेरी
तू यार है
खुश है तो तू
दुखी है तो तू
नाराज़ है तो तू
प्यार है तो तू
इकरार है तो तू
aapko nhi lagta khamoshi uhi khamosh nhi hoti....
ye har us insan ki yaar hai....
jha hontho pe khamoshi hai....
jha aankhon me bebashi hai....
jha chahat se inkar hai...
jha khud se takrar hai...
jha apne aap pe gussa hai..
jha ouro se narajgi hai...
jha kuchh na pane ka afshosh hai...
jha sab kuchh khone ka bojh hai...
jha apno se ab duri hai..
jha charo tarf majburi hi majburi hai...
khamoshi yhi khamosh nhi hai....
koi bajh hoti hai iski ....
ye bebajh to nhi hoti hai.....
bahut khubsurat aapki rachana hai...bs kuchh jabab diya hai aapke prasno ka..asha karti hu bura na manege...
शुक्रिया आरती जी, सही कहा है आपने, ख़ामोशी अपने आप मैं इतना कुछ समेट लेती है कि एक व्यथा ही बन जाती है. यूँ कहिये कि किसी के अंदर कि व्यथा समझ ही नहीं आती... और ये यदि किसी प्यार करने वाले को समेट ले तो और भी बड़ी व्यथा बन जाती है...खामोश गर एक हो तो प्यार करने वाला उसे समझ कैसे पायेगा..यूँ कहिये कहीं पर यदि एक ख़ामोशी होगी तो वहीँ दूसरे के अंदर एक और ख़ामोशी का जन्म होगा, और वो हलचल का रूप ले जायेगी.... तो आप ही कहिये कि क्यूँ भला कोई ख़ामोशी को अपने प्यार का साथी बनने देने पर मंज़ूर होगा.....
ReplyDeleteशुक्रिया यहाँ आने का
एक सवाल है : आप "मैं ऐसे ही हूँ " ब्लॉग बंद क्यूँ कर दिया हैं.,..अच्छा लिखती हैं हमे भी पढ़ने का मौका दीजिए....
are aapko kaise pata ki ye blog mera tha....aapne kaise jana.....yadi main galat nhi to sayad aap waha mere follower me the kya.....?waise such kahu to kya likhte hai aap...such bahut kam log hote hai jo dil ki baaton ko tna khubsurat rup dedete hai....aapke khushal zivan ke lie dhero shubhkamnaye..
ReplyDeleteshukriya aarti jee, blogistan main achhe blogon ki talash karte karte tapak pada tha main aapke blog main, follower bhi bana... dil khulkar likhi hui baatein aapke chulbuli hone ka gawah deti...badi hi pyaar se aap likhti hain.... yun hi likha kijiye..aur haan jab kisi ko follower ban ne ki ijazat deti hain to unhe follower bana kar hi rakha kare...
ReplyDeletechaliye kisi ne to tarif ki...oops ek aur naam hai tarif karne walon main... ees blog ki prerana ka naam hai ZIN..kaun?? ZIN... ZIN(dagi)