पृष्ठ पर अंकित
शब्दों ने पूछा था,
तू है कौन?
पढ़ शब्दों को तेरे
समझ ना पाया कि
तू है कौन?
शब्दों ने तेरे,
दगा तुझसे था किया
समझा ना सकी,
तू है कौन?
शब्दों से त्राह हो तेरे
अपने शब्दों को टटोला
ढूँढ अपने शब्दों से
जवाब टटोला
की तू है कौन?
तू चपला तू चंचला
तू अस्थिर, एक दरिया सी
तू शांत तू अथाह
तू सागर, गहरे भावों की
तू आत्मजा तू सहोदरा
तू रचना प्रेम की
तू मीत तू सखा
तू सम्मोहिनी प्रेम की
तू चुभन तू छुवन
तू रस अनुराग की
तू घटा तू कज़रा
तू गज़रा पुष्प की
तू यथार्थ तू स्वपन
तू अर्थ जीवन की
तू खामोश तू नीरव
तू कोलाहल जीवन की
तू रचना तू निबंध
तू कविता की छंद
तू नी:शब्दों की शब्द
तुझसे हैं हर छंद
तू नहीं भ्रम
ना तू जटिल पहेली
तू न अनसुलझी सी
कोई उलझी पहेली.
तू है कौन?
भ्रम या यथार्थ?
अनर्थ या अर्थ?
तू है कौन?
तू कौन है? कौन है तू?
तू नहीं कोई और
ना सोच और अब
तू हँसी
तू खुशी
तू जिंदगी
तू माया
तू ही है माया....
विषमताओं से सजी जीवन की माया.. ....
ऐसी है तू ...कोई उलझन नहीं.... कोई पहेली नहीं ...नाम के अनुरूप माया है तू ....
गहन रचना,सुंदर।
ReplyDeleteशुक्रिया इंदु जी,आपके तीन शब्द हमारे हौसले को कई गुना बढ़ा गए.
ReplyDeleteयूँ ही हौसला अफजाई चाहूँगा...
रचना शायद हमारे zin को दर्शा सकी या नही इस पर आज भी मन मे विवाद है पर हाँ जब पढता हूँ तों कभी कभी लगता है कुछ तों बता ही पाया..