प्रेरित निम्न गाने से जो आजकल ज़हन मैं चल रही हैं और अपने हालात से
तुम लोगों कि इस दुनिया मैं
हर कदम पे इंसान गलत
सही समझ के जो भी कहूँ
तुम कहते हो गलत
मैं गलत हूँ फिर कौन सही .......... (“साड्डा हक ...RockStar)
जिंदगी से थक मैं छोड़ आया जब सबकुछ
सब ने कहा कि हूँ मैं गलत, और सब सही
आँचल सर से हटा आज
माँ ने कहा कि मैं हूँ गलत और सब सही
पूछा माँ जब हूँ मैं गलत
तों छोड़ यहाँ मुझे इस हाल में
तू हटा आँचल मुझसे, तू कैसे है सही, गर मैं हूँ गलत ?
उंगलियां छुडा मेरे उँगलियों से
बहना ने कहा कि मैं हूँ गलत और सब सही
पूछा कि जब मैं हूँ गलत
तों छोड़ यहाँ इस मजधार में
छुडा बचपन से थामी उन उँगलियों को, तू कैसे है सही, गर मैं हूँ गलत ?
हटा कर बांहें सहारों कि
भाई ने कहा कि मैं हूँ गलत और सब सही
पूछा उनसे जब मैं हूँ गलत
तों छोड़ मुझे हतास पलों मैं
हटा पिता सी उन स्नेहित बाँहों को, तू कैसे हैं सही, गर मैं हूँ गलत?
हटी क्यूँ है हर सहारा आज यूँ ,
छिटके क्यूँ आज जिन्हें भी था थामा
किया जलील कैसे मैंने खून को
तोड़ हर खून के रिश्तों , तू सब कैसे है सही और में गलत ?
कोई मुझे भी समझाए कैसे मैं हूँ गलत और सब सही ...
कोई मुझे भी समझाए कैसे मैं हूँ गलत और सब सही ...
हर पल मैं ही कैसे गलत और तुम सब सही
जो भी मैं करू वो गलत और तुम सब सही ....
जब न मिला प्यार मुझे, जिनसे पाना था
तब एक हाथ थामा था खुशियों का गहना बनाया था
प्यार किया तब, जब किसी ने हमे नहीं चाहा था
आज उनसे पूछता हूँ जब थी ही नहीं मेरे संग तुम कहीं
तों फिर में तुझसे दूर कैसे, मैं कैसे गलत और तुम सब सही?
छोड़ा मैंने एक पल क्या , आँखें चुरा ली आज वो प्यार भी
जता कि दामन में दी थी मैंने उनकी, “गन्द” कहीं
बहलाया हैं झूठ से, कोरा मन मैंने उन्हें कहीं
न प्यार था मुझे उनसे, खेला था मैं उनके संग कहीं
भूल उन सब खुशियों को, धो उन जीए रंगों को
दामन छुडा तू, कैसे तू भी कहे कि हूँ मैं गलत और सब सही?
आज मैं कहता हूँ खुदा से, हाँ सब सही बस तू है गलत और सब सही
जन्मा था मुझे जब, क्यूँ न दिया प्यार कभी
तडपा मैं कभी, प्यासा मैं कभी, अकेला मैं कभी
हौसला दिया जब प्यार न दिया, न कभी खुशी
जब प्यार दी तों थामने का हौसला न दिया
कमजोरी तुने दी थी उस पल मे, तों में कैसे गलत और सब सही ?
अकेलेपन की बाहें थाम बैठा हूँ जब आज, कहता हूँ न पूजूंगा अब तुझे कहीं
उगलियां तुझसे आज छुडा, दामन तेरी सर से हटा, झिटक तेरे हर हाथ को
न रोवुंगा अब कभी, न मांगूंगा अब कभी, क्यूँ की तू है गलत, न है तू सही
तुझसे मैं कहता हूँ कि सब हैं सही बस तू है गलत....
सब हैं सही बस तू है गलत, मैं गलत, तू भी गलत..............
१२/१२/११
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लिखना कभी मेरी चाहत न थी..कोशिश की कभी जुर्रत न थी
शब्दों के कुछ फेर की कोशिश ---यूं कोई सराह गया कि
लिखना अब हमारी लत बन गयी...
-------- दो शब्द ही सही,, आपके शब्द कोई और करिश्मा दिखा जाए--- Leave your comments please.