सबेरे-सबेरे घंटा लगा कर
निंदिया को दूर भगा कर
कसमसा कर उठ कर
जिम जाने को जग जाता हूँ
टेढ़े मेढे मुह बना कर
आँखें ऊपर नीचे कर कर
आईने मैं मुह सजा कर
जिम जाने को सज जाता हूँ
पहन जांघिया कस लंगोट मैं
गंजी पहन आईने आता हूँ
जिम जाने से पहले खुद को
पल दो पल देख जाता हूँ
देख आइने, सोचता हूँ
कब? मैं भी सलमान बनूँगा?
मोटे मोटे डोले होंगे
तगड़े तगड़े टांगें
सेक्सी सी एब्स होंगे
और सेक्सी काधे..
कब मैं भी सलमान बनूँगा?
अब रोज मैं जिम जावुंगा ...